ग्रहों की नैसर्गिक शुभता/अशुभता
- चन्द्रमा, बुध, बृहस्पति और शुक्र शुभप्रद होते हैं। क्षीण चंद्रमा, शनि, सूर्य, राहु, केतु और मंगल पापग्रह हैं। पापग्रह से युत बुध भी पापग्रह होता है।
- बृहस्पति और शुक्र सर्वाधिक शुभप्रद हैं। शनि और मंगल अशुभ हैं।
- चन्द्रमा सामान्यतः एक शुभ ग्रह है।
- शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से दशमी तक चन्द्रमा मध्यम बली, इसके बाद दश दिनों तक अर्थात कृष्णपक्ष की पंचमी पर्यंत परमबली और इसके बाद दश दिन पर्यंत अर्थात् अमावस्या पर्यंत चन्द्रमा निर्बल होता है।
- बली चन्द्रमा शुभद और क्षीण यानि निर्बल चन्द्रमा नेष्ट होता है। शुभ ग्रह दृष्ट हो तो शुभद होता है।
- बुध स्वाभाविक रूप से शुभ ग्रह है और अकेला हो तो शुभद ही होता हो। किन्तु, इसका शुभत्व इतना क्षीण है कि वह जैसे ग्रह के साथ युक्त होता है उसीसे प्रभावित हो जाता है। अर्थात्, यदि पापग्रह के साथ हो तो पाप और शुभ ग्रह के साथ हो तो शुभ हो जाता है।