ग्रहों की परस्पर मित्रता
नैसगिर्क अथवा स्वाभाविक मित्रता
सत्याचार्य का मत है कि – सभी ग्रह अपनी मूलत्रिकोण राशि से २, ४, ५, ८, ९, १२ राशियों के स्वामियों से और अपनी उच्च राशि के स्वामी से स्वभाविक या नैसर्गिक मित्रता रखते हैं.
ग्रह | मित्र | शत्रु | सम |
सूर्य | चन्द्र, मंगल, गुरु | शुक्र, शनि | बुध |
चन्द्र | सूर्य, बुध | ----- | मंगल, गुरु, शुक्र, शनि |
मंगल | सूर्य, चन्द्र, गुरु | बुध | शुक्र, शनि |
बुध | सूर्य, शुक्र | चन्द्र | मंगल, गुरु, शनि |
गुरु | सूर्य, चन्द्र, मंगल | बुध, शुक्र | शनि |
शनि | बुध, शुक्र | सूर्य, चन्द्र, मंगल | गुरु |
तात्कालिक मैत्री
निसर्ग मैत्री के अतिरिक्त ग्रह की अपनी अधिष्ठित राशि से २, ३, ४, १०, ११, १२ राशियों में स्थित ग्रह तात्कालिक मित्र और शेष १, ५, ६, ७, ८, ९ राशियों में स्थित ग्रह तात्कालिक शत्रु होते हैं.
तात्कालिक मैत्री हर कुण्डली में अलग-अलग हो जाती है जबकि स्वाभाविक मैत्री स्थायी मैत्री है.
संकलनकर्ता : अम्बरीष