मंगलवार, 25 मई 2010

ग्रहों की परस्पर मित्रता

                      ग्रहों की परस्पर मित्रता            

नैसगिर्क अथवा स्वाभाविक मित्रता

सत्याचार्य का मत है कि सभी ग्रह अपनी मूलत्रिकोण राशि से २, ४, ५, ८, ९, १२ राशियों के स्वामियों से और अपनी उच्च राशि के स्वामी से स्वभाविक या नैसर्गिक मित्रता रखते हैं.

ग्रह
मित्र
शत्रु
सम
सूर्य
चन्द्र, मंगल, गुरु
शुक्र, शनि
बुध
चन्द्र
सूर्य, बुध
-----
मंगल, गुरु, शुक्र, शनि
मंगल
सूर्य, चन्द्र, गुरु
बुध
शुक्र, शनि
बुध
सूर्य, शुक्र
चन्द्र
मंगल, गुरु, शनि
गुरु
सूर्य, चन्द्र, मंगल
बुध, शुक्र
शनि
शनि
बुध, शुक्र
सूर्य, चन्द्र, मंगल
गुरु

तात्कालिक मैत्री

निसर्ग मैत्री के अतिरिक्त ग्रह की अपनी अधिष्ठित राशि से २, ३, ४, १०, ११, १२ राशियों में स्थित ग्रह तात्कालिक मित्र और शेष १, ५, ६, ७, ८, ९ राशियों में स्थित ग्रह तात्कालिक शत्रु होते हैं. 

तात्कालिक मैत्री हर कुण्डली में अलग-अलग हो जाती है जबकि स्वाभाविक मैत्री स्थायी मैत्री है.

संकलनकर्ता : अम्बरीष

6 टिप्‍पणियां:

ved ने कहा…

this is ved , devloping a software for kundali, need to ask u one thing about tatkalik maitri
suppose in a kundali SUN in kanya rashi in 4 th house of lagn, the first rashi lord budh will be enemy as u said but the 10 rashi from kanya is mithun , again lord is budh now acording to u it will be friend...that creats confusion, plz help me out

uniqueknowledge ने कहा…

Bhut achha

योग: कर्मसु कौशलम् ने कहा…

यदि धनु का शनि अष्टम भाव में हो तो क्या परिणाम होंगे?

बेनामी ने कहा…

Tula lagn 4 bhav me ketu, aur ketu shani ki tatkalik maitri ka kya prabhav hoga?

blackmagicislam ने कहा…

Amazing knowledge you shared. Thanks for share this knowledge. Real voodoo spell in England

Unknown ने कहा…

इस चक्र में शुक्र का स्था?न कहां पर है