बुधवार, 2 जून 2010

ग्रहों से सम्बंधित विभिन्न जानकारियाँ(१)

ग्रहों से सम्बंधित विभिन्न जानकारियाँ(१)

  • सूर्य कालपुरुष की आत्मा, चन्द्रमा चित्त(अंतःकरण), भौम सत्त्व(बल-पराक्रम), बुध वाणी, बृहस्पति सुख और ज्ञान, शुक्र काम और शनि उसका कष्ट है. 
  • सूर्य और चन्द्रमा राजा हैं, बृहस्पति और शुक्र मंत्री, बुध राजकुमार, भौम नेता और शनि भृत्य है. सूर्यजातक के अनुसार सूर्य राजा और चन्द्रमा रानी है तथा बृहस्पति मंत्री और शुक्र उसकी पत्नी है. 
  • सूर्य रक्ताभ श्यामल वर्ण, चन्द्रमा गौर वर्ण, बुध दूर्वा के सामान हरित श्यामल वर्ण, मंगल रक्ताभ गौर वर्ण, बृहस्पति गौर वर्ण, शुक्र श्वेत गौर, शनि कृष्ण वर्ण, राहू नील वर्ण तथा केतु का विचित्र (मिश्रित वर्ण) है.
  • सूर्य का ताम्र वर्ण, चंद्रमा का श्वेत, मंगल का अत्यंत लाल, बुध का तोते जैसा हरा, गुरु का हल्दी जैसा पीला, शुक्र का मिश्रित चित्र-विचित्र और शनि का काले रंग के पदार्थ पर स्वामित्व है. 
  • सूर्य पूर्व का, शुक्र अग्निकोण का, मंगल दक्षिण का, राहु नैऋत्य कोण का, शनि पश्चिम का, चन्द्रमा वायव्य का, बुध उत्तर दिशा का और गुरु ईशान कोण का स्वामी है. 
  • सूर्य और चन्द्रमा प्रकाशक ग्रह हैं. भौमादि शेष पाँच ताराग्रह तथा राहु और केतु छायाग्रह हैं. 

संकलनकर्ता : अम्बरीष

मंगलवार, 1 जून 2010

ग्रहों का परस्पर सम्बन्ध

ग्रहों का परस्पर सम्बन्ध

(१)
क्षेत्र सम्बन्ध
यदि दो ग्रह एक दूसरे की राशि में हों.
(२)
दृष्टि सम्बन्ध
यदि दो ग्रह एक दूसरे को पूर्ण दृष्टि से देखते हों.
(३)
अधिष्ठित राशीश दृष्टि सम्बन्ध
जिस राशि में ग्रह हो उस राशि के स्वामी से पूर्ण दृष्ट हो.
(४)
युति सम्बन्ध
यदि दो ग्रह एक ही राशि में स्थित हों.

  • क्षेत्र सम्बन्ध सर्वश्रेष्ठ है.
  • दृष्टि सम्बन्ध श्रेष्ठ है.
  • अधिष्ठित राशीश दृष्टि सम्बन्ध मध्यम है.
  • युति सम्बन्ध सामान्य है.
ü      इन संबंधों का बल व प्रभाव क्रमशः क्षीणतर होता जाता है.
ü      फलदीपिकानुसार परस्पर केन्द्र व त्रिकोण में स्थित ग्रह भी परस्पर संबंधी होते हैं. 


संकलनकर्ता : अम्बरीष